Thursday, 6 June 2013

आखिर कब जागेंगे हम ?

सुनने में आया है कि मेडागास्कर की मिट्टी बहने लगी है , कभी बर्फ से घिरा रहने वाला उत्तरी ध्रुव आजकल बर्फ के टुकड़ों का मैदान सा बन गया है, अलास्का के बर्फीले ग्लेशियर झील बन गए हैं | जहाँ देखो वही मौसम में अप्रत्याशित और बेतहाशा बदलाव नजर आ रहा है ।   जिधर देखो उधर ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा हो रही है | अगर ऐसे ही सब कुछ चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हवाई और फिजी जैसे द्वीप, मुंबई और वेनिस जैसे शहर और हिमालय की बर्फीली चोटियाँ सिर्फ इतिहास की बातें रह जाएंगी | पता नहीं उस भविष्य में बीते इतिहास की कहानी सुनाने को कोई बचेगा भी या नहीं? 
इन सब वजहों का सिर्फ एक कारण पेड़ों  का कटना व पर्यावरण का प्रदूषित होना है | पेड़ पौधे निरन्तर कट रहे हैं और इनके कटने से धरती का तालमेल बिगड़ रहा है |  पर्यावरण भी दूषित हो रहा है | पेड़ से ही तो हमें शुद्ध हवा मिलती है |  यदि इन स्रोतों को हम लालच में काटते रहेंगे तो आने वाले दिनों में विकराल स्थिति उत्पन्न हो जाएगी | सबसे पहले तो शुद्ध हवा ही नही मिलेगी, दूसरा वातावरण में फैले प्रदूषण  से कई परेशानियाँ  होने लगेगी | पेड़ों  के अभाव में बारिश भी कम होगी | प्रकृति के सौन्दर्य का आनन्द हम तभी ले सकते है, जब हम प्रकृति के साथ कोई छेड़छाड़ न करे और उसे सदा हर -भरा बनाए रखे | 
इन सबके लिए कुछ जरूरी कदम उठाये जाने की आवश्यकता है | परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ लगायें या किसी मांगलिक कार्य आदि में भी पौधारोपण करने का प्रयास करें | खुद भी पौधारोपण करें और लोगों को भी पौधा वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करें | 
घर में अगर जगह न हो, तो गमलों में पेड़ लगाए और घर के बाहर उचित जगह हो, तो नीम ,आम ,अमरुद आदि के पेड़ लगायें | इससे गर्मी के दिनों में घर के अंदर का तापमान बना रहता है और घर भी प्राकृतिक रूप से ठंडा रहता है | 

पर्यावरण को बचाने के उपाय - १ .  पेड़ लगाएँ  2.  प्लास्टिक  की जगह कपड़े के थैले इस्तेमाल  करें  3. फिजूल का बल्ब आदि न जलाएं 4. ध्वनि प्रदूषण न करें  5. निजी वाहन के स्थान पर बस आदि का इस्तेमाल करें 

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